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Muhammad Ali Success Story – Safalta Ki Kahani
आज हम जानेंगे, दुनियाँ से सबसे महान मुक्केबाजों मुहम्मद अली की सफलता की कहानी ‘Muhammad Ali Success Story ; जिसको पढ़ने के बाद आपको एक नहीं ऊर्जा और कुछ करने को प्रोत्साहन मिलेगा।
Muhammad Ali Success Story in Hindi
मुहम्मद अली एक बात हमेशा कहते थे ‘मैं सबसे महान हूं … मैं विजेता हूँ’ उस समय वो आराम से नहीं बैठे रहते थे बल्कि इस बात को सच करने के लिए जीतोड़ मेहनत करते थे। उनका हर मुकावला लोकप्रिय हो जाता था। जब को रिंग में जाते थे तो अपने दमदार मुकों से विरोधी को हतप्रभ कर देते थे।
मुहम्मद अली को बीबीसी द्वारा ‘स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड और स्पोर्ट्स पर्सनैलिटी ऑफ द सेंचुरी का ‘स्पोर्ट्समैन ऑफ द सेंचुरी घोषित किया गया। मुहम्मद अली (1942-2016) एक अमेरिकी पूर्व हैवीवेट चैंपियन मुक्केबाज थे और 20 वीं शताब्दी के सबसे महान खिलाडियों में से एक थे।
मुहम्मद अली का जन्म 17 जनवरी, 1942 को लुइसविले, केंटकी, संयुक्त राज्य अमरीका में हुआ था। उनकी बॉक्सिंग शुरू करने की कहानी बहुत दिलचप्स हैं। जब वो 12 साल के थे तो वह और उसका दोस्त लुइसविले होम शो देखने के लिए कोलंबिया सिनेमा गए।
Muhammad Ali Success Story in Hindi
सिनेमा देखकर जब बहार निकले तो देखा उनकी साइकिल वहां नहीं थी। वो दोनों फौरन पुलिस स्टेशन इसकी रिपोर्ट दर्ज कराने गये। वहां के पुलिस अधिकारी ‘जो मार्टिन” जोकि कोलंबिया जिम में बॉक्सिंग कोच भी थे, से इस बात की शिकायत की।
उस समय मुहम्मद अली छोटे थे पर बहुत गुस्से में थे उन्होंने कहा कि वह उस व्यक्ति को मारना चाहते हैं ,जिसने उसकी साइकिल चुराई हैं। पुलिस अधिकारी ‘जो मार्टिन”ने छोटे अली में कच्चेपन और आत्मविश्वास को देखा। हीरे की परख जोहरी को ही होती है। उन्होंने अली को अपनी जिम में अभ्यास करने का मौका दिया।
अली को इस चीज़ में बहुत मज़ा आने लगा। सुबह जल्दी उठकर अली जिम जाते और खूब मेहनत करते। जब एक जूनून जो ज़िद बन जाता है तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।मात्र 12 साल की उम्र में अली के पास समर्पण और आत्म-अनुशासन की मात्रा कूट कूट कर भरी थी।
उनकी लगन देख जो मार्टिन को यकीन हो गया की अली कुछ बड़ा करने की लिए पैदा हुआ है। उन्होंने जल्द ही उनका बॉक्सिंग प्रशिक्षण शुरू कर दिया।
Muhammad Ali Success Story Beginning
मुहम्मद अली बाकी मुक्केबाजों की तुलना में अलग थे, अपने ऊपर पूरा भरोसा था। अपने चेहरे को बचाने की लिए सेफ्टी मास्क भी नहीं पहनते थे। 18 साल की उम्र में मुहम्मद अली ने दो राष्ट्रीय गोल्डन ग्लव्स खिताब जीते, एमेच्योर एथलेटिक यूनियन नेशनल टाइटल जीता और 1960 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में लाइट हैवीवेट गोल्ड मेडल जीता। इन्होंने उस समय के कई दिग्गज मुक्केबाजों को पराजित किया।
जब अली ने 25 फरवरी, 1964 में वर्ल्ड हैवीवेट खिताब जीता, तो वह इस लैंडमार्क को हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाडी थे। चैंपियनशिप जीतने के तुरंत बाद, उन्होंने अपना नाम कैसियस क्ले से ‘मुहम्मद अली’ में बदल दिया।
हाँ तक सब कुछ ठीक था। नाम, शोहरत पैसा सबकुछ अली के पास था, लेकिन 1967 को उन्होंने धार्मिक विश्वासों और वियतनाम युद्ध में अमेरिकी भागीदारी के विरोध का हवाला देते हुए वियतनाम युद्ध में अमेरिकी सेना की सेवा करने से इनकार कर दिया। उनका ऐसा करना उन्हें भरी पड़ा।
अली को मसौदा का पालन न करने का आरोप पाया गया और उन्हें को गिरफ्तार कर लिया गया और इनसे मुक्केबाजी खिताबों को छीन लिया गया। उन्हें अपने हैवीवेट टाइटल और बॉक्सिंग लाइसेंस के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसका मतलब यह था कि वह अमेरिका में किसी भी राज्य में लड़ने में सक्षम नहीं था।
अली पर पांच साल की जेल का भी आरोप लगाया गया था, जिसका मतलब था कि उसका मुक्केबाजी करियर लगभग समाप्त हो गया था। हालंकि युद्ध पर सवाल उठाने के कारण वह युवा पीढ़ी के लिए एक आइकन बन चुके थे।
मुहम्मद अली को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने से पहले वह साढ़े तीन साल तक इस कार्रवाई से बाहर रहे थे। उसके बाद जब तीन साल बाद वो वापस रिंग में आये लेकिन अपना पुराना वाला स्टैमिना खो बैठे जिसकी वजह से वो कई मैच हार गये। उनके प्रशंशक इस बात से बहतु हताश हुए।
आखिरकार कुछ महीनों के बाद अली ने बॉक्सिंग रिंग में वापसी की।अब अली का एक मात्र लक्ष्य था कि वह अपने खिताब को वापिस पाना। इस दौरान अली ने उस सदी के कई बेहतरीन मैच खेले। इनमें से अधिकतर में अली ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को धूल चटाई। अली के द्वारा खेले गए यह मैच आज भी याद किए जाते हैं।
मुहम्मद अली ने कई जीत हासिल की और एक बार फिर वो हैवीवेट चैंपियन बनने से बस एक कदम दूर थे। अली के मुक्कों के आगे कई बॉक्सर फेल हो चुके थे और अब बारी थी जॉर्ज फोरमैन की।
इस मुकाबले को ‘रम्बल इन द जंगल‘ नाम दिया गया। इस मुकाबले अली ने अपनी ताकत और विश्वाश पर भरोसा करते हुए आठवें राऊंड में ही मैच को जीत लिया और अपने खोये हुए खिताब को वापिस पा लिया।
एक गजब का आत्मिश्वाश और ताकत थी उनके अंदर, वो कहते थे “अगर तुम मुझे हराने का सपना भी देखते हो तो बेहतर होगा उठ कर माफ़ी मांग लो।”
आखिरकार 1981 को 39 साल की उम्र में मुहम्मद अली ने बॉक्सिंग से सन्यास ले लिया।
कुछ वर्षों बाद मोहमद अली को पारकिंसन नामक बीमारी हो गई जिसके चलते उनकी शारीरिक स्थिति बिगड़ने लगी। 3 जून 2016 को ‘फिनिक्स एरिज़ोना के अस्पताल में अली जिंदगी से चल रही अपनी आखिरी लड़ाई को हार गए।
मुहमद अली लोगों के दिलो में अपनी जगह बना गई। आज भी उनका नाम इतिहास के पन्नो में सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं।
मुहम्मद अली ने इस बात को साबित का दिया। ज़िन्दगी में काफी उतार चढ़ाव आते है। भले ही आप गिर जाएँ पर अपने विश्वाश को कभी गिरने न दें। अपने लक्ष्य पर टिके रहना और अपने आप को साबित करना सबसे बड़ी बात है।
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मुहम्मद अली की यह इस कहानी ने मेरे दिल को छू लेिया। very very nice story
Heart taching story sir.