राम भक्त हनुमान जी रामायण के सबसे महत्वपूर्ण पात्र हैं, या कहें तो हनुमान जी रामायण के सुपर हीरो हैं। हम सभी भगवान रूप में उनकी पूजा करते हैं इसके साथ ही हनुमान जी से हम वो गुण ‘Life Lessons From Hanuman ji’ सीख सकते हैं जिन्हें अपनाकर हम अपनी ज़िन्दगी में एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
बिना हनुमान जी के आप रामायण की कल्पना नहीं कर सकते। यानी हुनमान जी के बिना रामायण अधूरी है। हनुमान जी परम भक्त, परम मित्र और एक वफादार साथी है। इतने बलवान होते हुए भी, इतने शक्तिमान होते हुए भी, इतने बुद्धिमान होते हुए भी अहंकार से बहुत दूर हैं। भगवान के बाकी सभी अवतारों के विपरीत जिन्हें अपने उद्देश्यों को पूरा करने के बाद इस पृथ्वी को त्यागना पड़ा, वही भगवान हनुमानजी को भगवान शिव जी द्वारा एक विशेष वरदान प्राप्त था। उन्हें मृत्युंजय वरदान प्राप्त हुआ था, जिसका अर्थ है वो सदा अमर रहेंगे।
तुलसी दास द्वारा लिखी गई हनुमान चालीसा में हनुमान जी की उदारता, महानता, उनकी निष्ठा, प्रेम और मित्रता का सम्मान करने के साथ-साथ उनकी बुद्धि, शक्ति, भक्ति आदि सभी के विषय में लिखा है। हनुमान जी के जीवन से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं जो हमारी बेहतर ज़िन्दगी के लिए, हमारी सफलता के लिए बहुत जरूरी है।
Contents
Life Lessons From Hanuman ji
आइयें हनुमान जी से सीखते हैं सफलता के ये 10 गुण जिन्हें अपनाकर बदल जायेगी हमारी ज़िन्दगी।
अहंकार कभी न करें, सदा झुक कर रहें – Never Ego in Life
1st Life Lessons From Hanuman ji
जब हनुमान जी सीता जी का समाचार लेकर सकुशल वापस आये तो सभी ने उनकी प्रशंशा की, हनुमान जी चाहते तो अपनी शक्ति और पराक्रम का बखान कर सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया और अपना सारा श्रेय भगवान श्री राम के आशीर्वाद को दे दिया।
हनुमान जी इतने शक्तिशाली हैं, बाबजूत इसके उनमे अहंकार नाम की चीज़ नहीं हैं। वे बहुत विनम्र हैं और अपने भगवान श्री राम के प्रति समर्पित हैं। एक मज़बूत शरीर उसके साथ ऊँचा मनोबल, धन धान्य से पूर्ण होने पर भी हमेशा विनम्रता एक बहुत ही बेहतर गुण है।
हनुमान जी के इस गुण से हम सीख सकते हैं की आप ज़िन्दगी में कितने भी सफल बन जाएँ, आपका स्तर कितना भी ऊँचा हो जायें, आप कितने भी धन ध्यान से पूर्ण हो जाएँ कभी अहंकार की भावना आपके हृदय में नहीं आनी चाहियें। आपका अहंकार नहीं बल्कि आपकी विनम्रता और करुणा ही लोगों के ह्रदय में रहती है। वही पेड़ झुकता हैं जिसपर फल लगे होते हैं।
अच्छे काम का अच्छा नतीजा Good Result by Good Work
2nd Life Lessons From Hanuman ji
हम जो भी करते हैं, जैसा भी करते हैं किसी न किसी रूप में हमारे पास वापस आता है। जब देवराज इंद्र ने हनुमान जी पर वज्र से प्रहार किया था तब हनुमान जी अचेत हो गए थे। हनुमान जी को गहरी चोट आयी थी। उस समय उनकी अच्छाई और उनके द्वारा किया कार्य काम आये और सभी देवी-देवता उन्हें आशीर्वाद देने आये. सभी से उन्हें वरदान में शक्तियां और आशीर्वाद मिलते हैं।
इसी प्रकार हम सभी को निस्वार्थ भाव से अच्छे काम करने चाहियें, दूसरों की मदद करनी चाहियें। आप जैसे कर्म करेंगे उसके परिणाम भी वैसे ही मिलेंगे। जीवन में अच्छे कर्म करो तो आपके साथ अच्छा ही होता है।
निर्भयता ( निडरता) life without Fear
3rd Life Lessons From Hanuman ji
हनुमान जी निडरता का उदाहरण हैं। निर्भय होकर अकेले लंका जाते हैं और पूरी लंका को जला कर वापस आ जाते हैं। हालाँकि हम सभी हनुमान जी की तरह शक्तिशाली नहीं हैं पर अपने फैसले हम सभी को निडरता से लेने चाहियें। अंन्याये के खिलाफ निर्भय होकर आवाज उठानी चाहियें। अपने आप पर भरोसा आपको निर्भीक बनता है।
निष्ठा (वफादारी) Loyalty in Life
4th Life Lessons From Hanuman ji
रामायण में हनुमान जी ने कई बार प्रभु श्री रामचंद्र जी के प्रति अपनी निष्ठा का परिचय दिया है। सुग्रीव और बाली के आपसी संघर्ष के वक़्त भी प्रभु राम को बाली के वध के लिए राजी करना, क्योंकि एक सुग्रीव ही प्रभु राम की मदद कर सकते थे। इस तरह हनुमान जी ने सुग्रीव और प्रभू श्रीराम दोनों के कार्यों को अपने बुद्धि और चतुराई से सुगम बना दिया। यहां हनुमान जी की मित्र के प्रति परम निष्ठा और आदर्श स्वामीभक्ति’ हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी सीख है।
कर्तव्यनिष्ठा (कर्तव्य-परायणता) Conscientiousness
5th Life Lessons From Hanuman ji
हनुमान जी को जो भी कार्य सौंपा गया उसे उन्होंने हर हाल मैं पूर्ण किया। अपने कर्तव्य को निभाने के प्रति उन्होंने कभी नकारात्कम सोच का प्रयोग नहीं किया जैसे मैं नहीं करूंगा, मैं नहीं कर पाऊंगा, मैं समझ नहीं पा रहा इसलिए नहीं कर पाउँगा।
जिस वक़्त लक्ष्मण रण भूमि में मूर्छित हो गए थे, उनके प्राणों की रक्षा के लिए हुनमान जी को संजीवनी बूटी लाने का काम सौंपा। हनुमान जी पूरे पहाड़ उठा लाए, क्योंकि वे संजीवनी बूटी नहीं पहचानते थे। हनुमान जी की कर्तव्यनिष्ठा से हम सीख सकते हैं की मनुष्य को अपनी जिम्मेदारी के परती शंका स्वरूप नहीं, वरन समाधान स्वरूप होना चाहिए।
बिना स्वार्थ कर्म करना Doing Selfless Work
6th Life Lessons From Hanuman ji
जब से हनुमान जी ने प्रभु राम को अपना गुरु मान लिया तब से लेकर लंका पहुंचाने और अयोध्या आने तक हनुमान जी बिना किसी स्वार्थ भाव से हर काम को करते रहे। श्री राम के प्रति उनकी भक्ति निस्वार्थ थी। हम जब भी कोई काम शुरू करते हैं उसके लाभ, उसके परिणाम की चिंता पहले करने लग जाते हैं। हनुमान जी द्वारा हम सीख सकते हैं की काम करो लेकिन स्वार्थ भाव से नहीं बल्कि पूरी निष्ठा से बिना किसी स्वार्थ के।
भावनाओं को काबू में रखना Control Emotions
7th Life Lessons From Hanuman ji
जब हनुमान जी अकेले लंका पहुंच गये और पूरी लंका को जला भी आये तो क्या सीता जी को अपने साथ नहीं ला सकते थे ?बिलकुल ला सकते थे पर हनुमान जी ने ऐसा नहीं किया। वह प्रभु राम के दूत बनकर गए थे। उन्होंने सीता जी से कहा ‘मैं चाहूं तो आपको अभी रावण की कैद से मुक्त कराकर ले जा सकता हूँ पर मैं ऐसा नहीं करूँगा। मैं आपको रावण की तरह चोरी से नहीं ले जाऊंगा। बल्कि प्रभु राम रावण का वध करने के बाद पूरे सम्मान से साथ आपको ले जायेंगे।
हनुमान जी ने अपनी भावनाओं पर काबू रखा। उनके इस गुण से हम सीख सकते हैं की हमेशा अपनी भावनाओं को काबू में रखना चाहियें। किसी भी स्वार्थ से विचलित होकर अपने लक्ष्य को नहीं त्यागना चाहियें।
मैनेजमेंट (प्रबंधन) Management Lessons From Hanuman ji
8th Life Lessons From Hanuman ji
मन, कर्म और वाणी पर संतुलन यह हनुमान जी से सीखा जा सकता है। हनुमान जी मैनेजमेंट के सबसे बड़े गुरु हैं। लंका पहुंचने से पहले उन्होंने पूरी रणनीति बनाई। असुरों की इतनी भीड़ में भी विभीषण जैसा सज्जन ढूंढा। उससे मित्रता की और सीता माँ का पता लगाया। भय फ़ैलाने के लिए लंका को जलाया। विभीषण को प्रभु राम से मिलाया। इस प्रकार पूरे मैनेजमेंट के साथ काम को अंजाम दिया। एक बढ़िया मैनेजमेंट बनाकर कठिन से कठिन कार्य को सरल बनाया जा सकता है।
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good morning sir,,,
sir apke artical ka mai intjar karta rhta hu…ki kuch naya milega,,,real me sir ap bahut mehnat
karte ho hamare liye,,,,thank u so much,,,,,god bless you….a lot of
Thanks a lot krishna ji .