पिता की सीख। Inspirational Story in Hindi With Moral

Inspirational Story in Hindi

Inspirational Story in Hind – अपने बच्चों को प्यार देना, उनकी ख्वाइशों को पूरा करना हर माँ बाप चाहतें हैं, और हर माँ बाप इस कर्तव्य को निभाते हैं।  पर अच्छे संस्कार देना भी माँ बाप का परम कर्तव्य है, पर अक्सर हम अपने बच्चों से इतना लाड प्यार करते हैं कि वो जिद्दी हो जाते हैं।  आज में आपको एक Inspirational Story in Hind बताता हूँ जो एक पिता की कहानी है जो अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था।  

पिता की सीख। Inspirational Story in Hind With Moral

एक पिता जो अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था, उसकी हर ख्वाहिशों को पूरा करने का प्रयास करता था।  बच्ची जो भी डिमांड करती पिता उसे पूरा करता, पर अनजाने में वो अपनी बच्ची को आदर्श संस्कार से दूर करता जा रहा था।  बच्ची जिद्दी स्वभाव की हो गई थी।  हर किसी को जबाब देने में उसे कोई संकोच नहीं होता था।  बच्ची की माँ अपने पति को खूब समझती को बच्ची को इतना प्यार मत दो की वो बिगड़ती जाये। पर पिता हमेशा यह कहकर टाल देता कि अभी बच्ची है बड़ी होकर समझदार हो जायगी।  

बच्ची बड़ी हो गई पर उसका स्वाभाव पहले से और ज्यादा कठोर हो गया।  एकलौती बेटी का पिता उसके हर छोटी बड़ी डिमांड को पूरा करता। 

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Inspirational Story in Hind With Moral

अपनी बेटी की उम्र शादी को होती देख पिता उसके लिए एक योग्य वर और एक अच्छा खानदान खोजने लगा। खोजबीन के बाद एक अच्छा खानदान और योग्य वर मिल गया।  पिता ने अपनी बेटी की शादी बहुत धूम धाम से की और बहुत सारा दहेज़ भी दिया जिससे बेटी को कोई तकलीफ न हो।  

बेटी दुल्हन बनकर अपने ससुराल आई।  दो दिन तो सब ठीक से था पर तीसरे दिन तो उस घर के लोग उसका व्यवहार देखकर चकित रह गए।  किसी भी काम को कहा जाता तो तुरंत मना कर देती, अपने सास ससुर से बहस करती, अपने देवर को ताने मारती, अपनी नन्द से तो सीधे मुँह बात भी नहीं करती, अपने पति से तो लड़ती और किसी भी काम को हाँथ तक नहीं लगाती।  सुबह देर तक सोती और पूरा दिन टीवी देखती रहती। सास कोसती की पता नहीं माँ बाप ने कैसे संस्कार दिए हैं औरफ़ोन करके उसके पिता को बुला लेती है अगले दिन पिता अपनी बेटी को लेने आता है पर उस पिता से बेटी के ससुराल में कोई सीधे मुँह बात तक नहीं करता। सब मुँह मोड़ कर चले जाते हैं। 

पिता सास से कहता है की बहन जी बेटी को ले जा रहा हूँ चार पांच दिन बाद छोड़ने आयूँगा।  सास तपाक से कहती है कोई जरूरत नहीं है अपनी बेटी को अपने ही घर रखना और जितना भी दहेज़ दिया है सब ले जाना, दुखी पिता सर झुकाये बेटी को अपने साथ ले जाता है।  

Inspirational Story in Hind With Moral

रास्ते में बाप अपनी बेटी से पूछता है बेटी दस दिनों में यह कैसे हो गया, आखिर क्या हो गया, क्या तुम्हारे ससुराल वाले अच्छे नहीं हैं।  बेटी तुरंत जबाब देती है “बिलकुल भी नहीं सास तो पूरी चुड़ैल है ” पिता कहता है चुड़ैल और बाकि लोग।  बेटी कहती है कोई भी अच्छा नहीं है सब सास के इशारों पर चलते है।  

घर आने के दो दिन बाद माता पिता ने अपनी बेटी को बहुत समझाया पर बेटी मानने को तैयार है हुई। पिता अपनी बेटी का दुःख समझ गया और बोला बेटी ये बताओ अगर तुम्हारी सास तुम्हारे रास्ते से हट जाये तो क्या तुम अपनी ससुराल में रहने के लिए तैयार हो।  बेटी बोली “हाँ तब तो में सबको अपने इशारों पर नचा लुंगी।  

दूसरे दिन पिता अपनी बेटी के पास आया और उसे एक पैकेट दिया। और बोला ‘बेटी इस पैकेट में बहुत धीरे धीरे असर करने वाला जहर है।  तुम अपनी ससुराल जाओ और अपनी सास को खाने में मिलाकर देती जाओ। जहर का असर इतना हल्का है 6 महीने में तुम्हारी सास मर जायगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा, क्योंकि जहर धीरे धीरे असर करेगा और किसी को शक भी नहीं होगा।  

बेटी खुश हो गई और बोली “क्या सच में पापा ऐसा हो जायेगा।  पिता कहता है बिल्कुल बस तुम्हें सिर्फ 6 महीने तक अपनी सास का कहना मानना होगा, शांत रहना होगा, चाहें तुमसे कोई कुछ भी कहे तुमको कोई जबाब नहीं देना है, ऐसा करने से कोई तुम पर शक नहीं करेगा।  बेटी बोली ठीक है पापा में पूरी एक्टिंग करुँगी।  

अब पिता अपनी बेटी को ससुराल छोड़ने जाता है और सास से आग्रह करता है कि  अब मेरे बेटी बदल गई है , और बेटी को इशारा करता है बेटी समझ जाती है और अपने सास के पैरों में गिरकर माफ़ी मांगने लगती है, यह देख सास सोचने लगती है भला ऐसा कैसे हो गया।  सास अपनी बहु को एक मौका देने को तैयार हो जाती है।  

अब बेटी अपने ससुराल में बहुत शांति से रहती है।  सुबह सबसे पहले उठ जाती है।  सबके लिए नास्ता बनाती है। अपनी सास ससुर की देखभाल करती है, और कुछ कहते तो जबाब नहीं देती और मन ही मन सोचती बुढ़िया चिंता मत कर सिर्फ 6 महीने की बात है, उसके बाद तो मेरा ही राज्य होगा।  समय पर खाना बनाती और सास के खाने में चुटकी भर जहर भी डालती जाती।  

सभी के साथ शांति से रहती, यह देख ससुराल के लोग चकित रह गए। सास सोचने लगी की शायद में अपनी बहु को पहचान नहीं पाई।  अब सास ससुर अपनी बहु की खूब तारीफ करते।  उसका पति भी उसे प्यार करता। देवर भी बहुत उसका बहुत आदर करने लगा और  नन्द तो उसकी सहेली बन गई। बहु को भी अपना ससुराल घर जैसा  लगने लगा। 4 महीना बीते अब सास के खाने में जहर डालते समय उसके हाथ कापने लगे। सास ने घर की चाभी अपनी बहु को दे दी।  अब सास उसे माँ जैसी लगने लगी।  

बेटी अपने पिता के घर आई और रोते हुए बोली “पापा माँ को बचा लो, मैं चार महीने उन्हें जहर देती आई पर मैं चाहती हूँ वो जिन्दा रहें, पिता ने कहा अरे वो तो चुड़ैल थी।  बेटी बोली पापा ऐसा मत कहो वो तो मेरी सगी माँ से भी अच्छी हैं। और रोने लगी।  

अपनी बेटी को रोता देख पिता मुस्कराए और अपनी बेटी के आंसू पोछते हुए बोले “बेटी तू चिंता मत कर तेरी सास को कुछ नहीं होगा।  वो ज़हर नहीं था वो तो सिर्फ सफ़ेद पाउडर था।  ये सब मैंने तुझे यह अहसास दिलाने की लिए किया था की तेरी सास, ससुर, पति देवर, नन्द बुरे नहीं हैं बल्कि ये तेरा व्यवहार और उनके प्रति गुस्सा था।  अब जब तूने अपना व्यवहार बदला तो सब कुछ बदल गया।  

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पिता की सीख। Inspirational Story in Hind With Moral

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3 Replies to “पिता की सीख। Inspirational Story in Hindi With Moral

  1. बहुत बढ़िया तरीके से कहानी को समझाया है आपने. आपके लिखने का तरीका भी सही है इसी तरह जानकारिया शेयर करते रहे.

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