यह Article “The Correct Decision in Difficult Times According to Shri Bhagavad Gita” आपको आपके मुश्किल समय में सही निर्णय लेने में आपके लिए Helpful होगा, यह उपदेश श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद भगवद गीता में दिया है। आइयें जानते हैं मुश्किल समय में सही निर्णय कैसे लें .
श्री कृष्ण ने हिन्दू धर्म के सबसे बड़े धर्म ग्रन्थ श्रीमद भगवद गीता में अर्जुन को जो भी उपदेश दिए वो आज भी और हमेशा भी मानव जाती का मार्गदर्शन करते रहेंगे। श्री कृष्ण ने सबसे बड़े धर्म युद्ध महाभारत में अर्जुन को ऐसे उपदेश दिए, जिससे प्रेरित होकर, युद्ध में डरे हुए अर्जुन को युद्ध जीतना आसान हो गया।
एक ऐसा ही उपदेश मुश्किल समय में सही निर्णय कैसे लें भगवन कृष्ण के द्वारा। The Correct Decision in Difficult Times According to Lord Krishna.
Note – यहाँ में प्रभु श्री कृष्ण के इस महान उपदेश को सरल, आम बोलचाल की भाषा में लिख रहा हूँ, अर्थ एवं भावार्थ समान रहेंगे।
Life के हर Situation में हमें कोई न कोई Decision तो लेना ही होता है, चाहें वो छोटा सा Decision हो यां बड़ा Decision. यानि हर कदम पर निर्णय लेना ही है। और आप जो भी डिसिशन आज लेते हो वो Decision आपक Future बनाता है। हम जो भी निर्णय लेते हैं, उसका Effect उसी According होता है। यानि उसी निर्णय की बजह से भविष्य में हमे सुख एवं दुःख मिलते हैं।
हमारे हर एक Decision का Effect हम पर ही नहीं बल्कि हमारे परिवार और अपने वाली पीडियों पर पड़ता है।
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Correct Decision in Difficult Times
जब भी Problem सामने आती है तो हम व्याकुल Distraught हो जाते हैं, घबरा जाते हैं और हमारे मन में Negativity की Feeling आने लगती है, हम अनिश्चितताओं (Uncertainties) से घिर जाते हैं, तरह तरह के सवाल और बेचैनी से मन अशांत हो जाता है , पता नहीं क्या होगा, कैसे होगा, लेकिन उस समय हमें कोई न कोई निर्णय लेना ही होता है।
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“निर्णय का वो क्षण युद्ध बन जाता है पर मन बन जाता है युद्धभूमि।”
ज्यादातर Decision हम Problem को Solve करने के लिए नहीं लेते बल्कि इसलिए लेते हैं कि अभी कैसे न कैसे छुटकारा मिल जाये और हमारे मन को शांति मिले। पर ऐसा नहीं होता क्योंकि उस समय हमारा मन बहुत व्याकुल होता है तो क्या कोई दौड़ते हुए खाना का सकता है ? नहीं ना, तो युद्ध से जूझता मन, Problem के कारण व्याकुल मन Right Decision कैसे ले सकता है।
सही निर्णय तभी लिया जा सकता है जब मन शांत हो, और शांत मन से ही ऐसे निर्णय लिया जा सकता है जो भविष्य में सुखद हो। इसके विपरीत जब निर्णय मन को शांत करने के लिए लिया जाता है, तो सही मायने में व्यक्ति अपने लिए काँटों भरा पेड़ लगता है।
निर्णय मन को शांत करने के लिए नहीं बल्कि शांत मन से लें।
जब भी हम Decision लेते हैं Mostly दूसरों के Suggestions के अनुसार लेते हैं, हम भूल जाते हैं की जिस व्यक्ति से भी हम सलाह ले रहे हैं क्या वो हमें सही सलाह दे पायेगा। हमे इस बात को सोचना चाहियें। हमारा Future हमारे Present के According होता है, यानि हमारे भविष्य का आधार हमारे आज किये गए निर्णय पर होता है। तो क्या किसी और के Suggestion के According हम अपना भविष्य बनायेंगे।
तो क्या हमारी पूरी ज़िन्दगी किसी दूसरे के Suggestion के अनुसार चलने वाली है।
क्या एक ही Situation में कई लोग अलग अलग Suggestion नहीं देंगे। क्योंकि वो सलाह उनके अनुसार होगी आपके अनुसार नहीं। यह आपकी ज़िन्दगी है इसे आप ओरों से बेहतर जानते है। मंदिर में दो लोग खड़े हैं, एक कहता है कि दान करना चाहियें और दूसरा चोर है वो कहता है कि यदि अवसर मिले तो इस मूर्ति के गहने चुराने चाहियें।
एक पुण्य की बात करता है तो दूसरा पाप की। क्या ये आपको आपकी प्रॉब्लम के टाइम एक जैसी Advice देंगे।
जिस व्यक्ति का ह्रदय धर्म, सचाई, ईमानदार से भरा होता है वो धर्म भरे सुझाव देगा, और जिस व्यक्ति के मन में अधर्म, बेईमानी होगी क्या वो धर्म से भरे परामर्श दे सकेगा, नहीं ऐसे व्यक्ति अधर्म का परामर्श देगा।
अगर कोई ऐसा व्यक्ति जिसके मन में सचाई है, उसके द्वारा दिया गया परामर्श आपको सुख की और ले जायेगा। परन्तु आप सही और गलत का निर्णय कैसे करेंगे ? How will you decide the right and wrong ? इसके लिए आपको अपने मन में धर्म को स्थापित करना होगा, क्योंकि धर्म और सचाई से लिए फैसला, चाहें वो आज कितना भी कठोर लगे पर आपके लिए, आपके परिवार के लिए और समाज के लिए, आने वाले कल में बेहरत होगा।
आने वाला कल यानि Future किसने देखा है, हम भविष्य के आधार पर आज का निर्णय लेना चाहते हैं। हम चाहते है कि हम जो भी निर्णय लें वो Future में हमे सुख देने वाले हों। आप अपने जीवन को देखिये क्या आपके जायदातर निर्णय के पीछे भविष्य का विचार नहीं होता है, और हो भी क्यों न हम सभी चाहते हैं की हमारा भविष्य खुशियों से भरा हो, हमारे परिवार को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। यानि हम सभी अपने जीवन को सरल और सुखमय बनाने का प्रयत्न करते हैं। परन्तु भविष्य को तो कोई नहीं देख सकता।
हाँ भविष्य को कोई नहीं जनता परन्तु कल्पना की जा सकती हैं, और हम जीवन के सारे निर्णय कल्पनयों के आधार पर ही करते हैं, तो क्या निर्णय करने का कोई तीसर रास्ता मार्ग हो सकता है ? विचार कीजिए।
आप जो भी निर्णय करते हैं आप सुख पाना चाहते है, संतुष्टि पाना चाहते है बेहरत परिणाम पाना चाहते हैं तो याद रखें की सारे सुखों का आधार धर्म है और धर्म मनुष्य के ह्रदय में बसता है, इसलिए जब भी आप कोई Decision लें तो अपने ह्रदय से यह प्रश्न कीजिये कि में जो भी निर्णय ले रहा हूँ क्या वो मेरे स्वार्थ के कारण ही तो नहीं ले रहा।
यानि जो भी निर्णय में ले रहा हूँ वो स्वार्थ से जन्मा है या धर्म से, क्या इतना पर्याप्त नहीं है।
किसी मुश्किल समय में जब आप धर्म से कोई निर्णय लेते हैं तो विचार कीजिये की वो निर्णय अधिक सुखमन नहीं होगा।
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My regard sir For your guide
How to take right decision in critical situation
“निर्णय मन को शांत करने के लिए नहीं,बल्कि शांत मन से लें “– पूरी गीता का निचोड़ शायद यही है। इतनी सरलता से जीवन – गीता समझाने के लिए धन्यवाद !